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राचाबुरी: मानवीय संवेदना की एक कहानी

राचाबुरी: मानवीय संवेदना की एक कहानी

Paralyzed Man Gets

ये कहानी कहीं से भी किसी फ़िल्म की पटकथा से कम न थी। यहां भी मुख्य किरदार कई दृश्यों तक बस जूझता रहता है। हर तूफान के बाद जैसे इंद्रधनुषी किरण दिखती है वैसे ही ये कहानी भी यह साबित करती है फ़रिश्ते और सुखद अंत सच में होते हैं।


एक भारतीय श्री राजकुमार, उम्र 49, खमुआह भट्ट गांव, गोरखपुर निवासी कई वर्षों से थाईलैंड में रह रहे थे। लगभग 5 महीने पहले श्री राजकुमार को लकवा मार दिया और नियति की क्रूर चोट ने उन्हें लाचार बना दिया। उन्हें अस्पताल ले जाने वाला भी कोई नही था। ऐसे कठिन समय में राचाबुरी पुलिस स्टेशन ने मानवीय संवेदनाओं की लाज रखते हुए उन्हें आनन-फानन में राचाबुरी अस्पताल में भर्ती कराया। श्री राजकुमार काफी समय बिस्तर पर सीमित थे और अस्पताल ने भी उन्हें बाकी इलाज घर से चलाये रखने की सलाह देते हुए डिस्चार्ज कर दिया।
वक़्त की मार ने कुछ ही समय में श्री राजकजमार की मुश्किलें बढ़ दीं और उनकी बिगड़ती तबीयत को देखते हुए उनके भारत वापस जाने की नौबत तक आ गयी। भारत में उनके परिवार को इसकी जानकारी न थी और यहां थाईलैंड के उनके मित्र या तो मदद को सामने नही आये या कुछ उन तक पहुंच नही पाए। ऐसे समय में एक बार फिर राचाबुरी पुलिस स्टेशन श्री राजकुमार के साथ खड़ा था परंतु वो भी समझ नही पा रहे थे कि आगे क्या किया जाए। उन्होंने इंडो-थाई न्यूज़ के प्रतिनिधि श्री जिमी मिश्रा जो जय श्री राम संस्थान के युवा सामाजिक कार्यकर्ता से संपर्क किया।

श्री जिम्मी कुछ ऐसी ही परिस्तिथियों का सामना पूर्व में कर चुके थे और वह समझते थी कि ऐसे में क्या किया जा सकता है। श्री जिम्मी जी के साहस और इंडो-थाई न्यूज़ और जय श्री राम संस्थान की मदद से श्री राजकुमार को निकटतम वृद्धाश्रम में शिफ्ट कराया गया। वृद्धाश्रम के कर्मचारियों के समर्पित सेवा भावना से श्री राजकुमार की सेहत में सुधार दिखने लगा। श्री जिम्मी ये समझ रहे थे कि श्री राजकुमार की सेहत में सुधार परिवार के बीच उत्तरोत्तर हो सकती है। इस संबंध में इंडो-थाई न्यूज़ और जय श्री राम संस्थान से परामर्श करके श्री जिम्मी ने इस कार्य का बीड़ा उठाया। राचाबुरी पुलिस स्टेशन ने कागज़ी कार्यवाही दुरुस्त करने में मदद की और श्री राजकुमार के किये सब अच्छा होता दिख रहा था। ऐसे में काफी कठिनाइयों के बाद श्री राजकुमार सभी कागज़ात के साथ एयरलाइन से उड़ान भरने को तैयार थे। इस आपाधापी में ‘फिट टू फ्लाई’ सर्टिफिकेट के खो जाने के चलते श्री राजकुमार को फ्लाइट न सिर्फ छोड़नी पड़ी बल्कि कुछ दिन और वृद्धाश्रम में समय काटना पड़ा जबतक सारे जरूरी कागजात फिरसे तैयार न किये जा सकें। ईश्वर की कृपा दृष्टि और सबके अथक प्रयास ने रंग लाया और अंततः श्री राजकुमार सारे कागज़ात के साथ अपने वतन वापस लौटे और अपने परिवार के बीच पहुंच गए।

श्री राजकुमार अब अपने परिवार के साथ दिल्ली, भारत में हैं और उनकी सेहत में भी काफी सुधार है। इस घटना से विश्वास होता है कि मानवता अभी भी करुणा और दया की भावना बचाये हुए है। श्री राजकुमार की कहानी यह दिखाती है कि बुरे वक्त में अक्सर अनजान भी मदद को आगे आते हैं। राचाबुरी पुलिस विभाग के त्वरित प्रक्रिया और श्री जिम्मी मिश्रा जैसे जिम्मेदार नागरिक के प्रयास ने चमत्कार ही कर दिया। फ़रिश्ते इंसानी दिल में आज भी बस्ते हैं।

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